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कोरोना वायरस से लंबी सुरक्षा देगा कोवैक्सीन का बूस्टर डोज, ट्रायल में दिखे शानदार नतीजे

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भारत बायोटेक का कहना है कि कोवैक्सीन के बूस्टर डोज ने ट्रायल में “बिना किसी गंभीर प्रतिकूल घटना के दीर्घकालिक सुरक्षा” का प्रदर्शन किया है। भारत बायोटेक ने कहा, ‘जिन वॉलंटियर्स को कोवैक्सीन बूस्टर डोज लगाई गई, उनमें से 90 प्रतिशत में वाइल्ड टाइप स्ट्रेन से बचाव के लिए एंटीबॉडी बन गई। इस एंटीबॉडी को मापा भी जा सकता है।” कंपनी ने कहा कि यह कोरोना वायरस के खिलाफ बड़ी सफलता है। भारत बायोटेक ने कहा कि उसकी कोवैक्सीन बूस्टर डोज का ट्रायल सफल रहा है। ट्रायल में बूस्टर डोज लगने के बाद कोई साइड इफेक्ट नहीं मिला और साथ ही डोज लगवाने वालों में लंबे समय तक वायरस से बचाव की क्षमता भी पाई गई है।

कंपनी ने पिछले महीने खुलासा किया था कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन “फेस दो और तीन ट्रायल में 2-18 साल के वॉलंटियर्स” में सुरक्षित, अच्छी तरह से सहन करने वाला और इम्युनोजेनिक साबित हुआ था। भारत बायोटेक ने 2-18 आयु वर्ग के स्वस्थ बच्चों और किशोरों में कोवैक्सिन की सुरक्षा, प्रतिक्रियात्मकता और प्रतिरक्षण क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए ट्रायल II/III, ओपन-लेबल और मल्टीसेंटर स्टडी आयोजित की थी।

बता दें कि 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए कोविड टीकाकरण कार्यक्रम 3 जनवरी, 2022 से शुरू किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सूचित किया है कि इस जनसंख्या श्रेणी में केवल ‘कोवैक्सीन’ दी जाएगी और ‘कोवैक्सीन’ की अतिरिक्त खुराक सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भेजी जाएगी।



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क्या अपनी ही पार्टी में साजिश का शिकार हो गए राहुल गांधी? अनुराग ठाकुर ने पूछा सवाल

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केंद्रीय मंत्री राहुल गांधी ने कहा है कि आखिर राहुल गांधी की मदद करने के लिए कांग्रेस से जुड़े बड़े वकील आगे क्यों नहीं आए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि राहुल गांधी के खिलाफ कांग्रेस में साजिश हुई।



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Karnataka Election Dates: कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज, 11:30 बजे EC की प्रेस कॉन्फ्रेंस

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 की तारीखों का ऐलान बुधवार को होने जा रहा है। खबर है कि भारत निर्वाचन आयोग यानी ECI सुबह 11:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और जनता दल सेक्युलर के साथ मिलकर सरकार बनाई थी, लेकिन करीब डेढ़ साल बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता संभाल ली थी।

224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा का कार्यकाल 24 मई को समाप्त हो रहा है। एक ओर जहां भाजपा सत्ता में बने रहने की कोशिश में है। वहीं, कांग्रेस बड़ी चुनौती पेश कर रही है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि जेडीएस की मौजूदगी दक्षिण भारतीय राज्य के सियासी मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है।ॉ

हाल ही में में कांग्रेस ने 124 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पार्टी ने 69 में से 60 विधायकों को फिर से मैदान में उतारा है। खास बात है कि कर्नाटक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृहराज्य भी है। दिल्ली और पंजाब के बाद कर्नाटक में एंट्री की कोशिशों में जुटी आम आदमी पार्टी ने भी 80 नामों के साथ उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है।



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क्या है PMLA की धारा 50 जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को दिया नोटिस? वैधता पर उठे सवाल

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सुप्रीम कोर्ट प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) की दो धाराओं की वैधता को लेकर सुनवाई करने को तैयार हो गया है। एक याचिका में इस कानून की धारा 50 और धारा 63 को चुनौती दी गई थी। इन धाराओं के अंतरगत ईडी अधिकारी किसी को भी पूछताछ के लिए बिना कोई कारण बताए बुला सकते हैं। इसके अलावा गलत जानकारी देने पर या फिर जानकारी ना देने पर दंड भी दिया जा सकता है। 

मध्य प्रदेश में विपक्ष के नेता गोविंद सिंह ने इन दो धाराओं को असंवैधानिक करार देकर हटाने की मांग करते हुए याचिका फाइल की है। उनका कहना है कि सरकार इन धाराओं का उपयोग करके विपक्ष को परेशान कर रही है। गोविंद सिंह सात बार के विधायक हैं। उनका कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट 2002 की ये दो धाराएं संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती हैं। 

याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल और समीर सोढ़ी पेश हुए। उन्होंने जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और अरविंद कुमार की बेंच से कहा कि इन धाराओं की पुनर्समीक्षा करने की जरूरत है। याचिका में कहा गया कि कानून की धारा 50 के तहत जिस किसी को भी समन किया जाता है उसे यह बताया जाना चाहिए कि वह किसी मामले में गवाह है या फिर  आरोपी है। इसके अलावा उसे इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि किस मामले में उसे समन किया जा रहा है। 

पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार और ईडी को नोटिस जारी किया है और कहा है कि 6 सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि कि यह धारा संविधान के अनुच्छेद 20 (3) का उल्लंघन करती है। याचिका में यह भी कहा गया है कि किसी एजेंसी के सामने दिए गए बयान कोर्ट में सुनवाई के दौरान मान्य नहीं होते हैं। याचिका में कहा गया है कि संविधाने के आर्टिकल 21 में निष्पक्ष सुनवाई की बात कही गई है। बता दें कि इस मामले में कोर्ट ने ईडी और केंद्र सरकार से 6 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। वहीं इसके बाद याचिकाकर्ता को दो सप्ताह का वक्त जवाब पर प्रतिक्रिया देने के लिए दिया जाएगा। 



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