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तमिलनाडु में दूध न खरीदे अमूल, मुख्यमंत्री स्टालिन का अमित शाह को खत; उठा नया विवाद

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एमके स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में सहकारी दुग्ध कंपनी आविन का क्षेत्र है और यहां अमूल की ओर से बड़े पैमाने पर दूध की खरीद करना सही नहीं है। स्टालिन ने कहा कि अमूल को इससे रोकना होगा।



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Odisha Train Accident: बढ़ सकता है मृतकों का आंकड़ा; चश्मदीदों का दावा – मलबे में दबे हैं शरीर के अंग

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ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। जानकारों का मानना ​​है कि यह संख्या 300 से अधिक हो सकती है। शनिवार शाम तक रेलवे सूत्रों ने बताया है कि मरने वालों की संख्या 288 है। 800 से ज्यादा घायल। लेकिन चश्मदीदों का कहना है कि शरीर के अंग अब भी मलबे में दबे हुए  हैं। मलबे के नीचे कई शव भी दबे हो सकते हैं। नतीजतन, मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है। रेल सेवा शनिवार से सेवा सामान्य करने की कवायद शुरू हो गई है। लेकिन यह काफी समय लेने वाला माना जाता है।

संयोग से 10 मई 2010 को ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे में 148 लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले, 2 अगस्त 1999 को रेलवे अधिकारियों के अनुसार, उत्तर बंगाल में इस्लामपुर के पास गेसल में एक रेल दुर्घटना में 285 लोगों की मौत हो गई थी। बालासोर कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में मरने वालों की संख्या ने इन हादसों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यदि मरने वालों की संख्या 300 को पार कर जाती है, तो दुर्घटना पूर्वी भारत में हाल के दिनों में घटने वाली सबसे घातक रेल दुर्घटना होगी।

जांच के बाद रेलवे की प्रारंभिक रिपोर्ट में कोरोमंडल हादसे का कारण सिग्नलिंग में खराबी बताया गया है। हालांकि, रेलवे अधिकारियों के एक वर्ग के अनुसार, विस्तृत जांच से दुर्घटना के कारणों का पता चल पाएगा। साइट निरीक्षण के बाद एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया, “अप मेन लाइन पर हरी झंडी दे दी गई थी। लेकिन ट्रेन उस लाइन में नहीं आई। ट्रेन लूप लाइन में चली गई। वहां पहले से ही एक मालगाड़ी खड़ी थी। उससे टक्कर में कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ”इस बीच बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस डाउन लाइन से होते हुए बालासोर की ओर जा रही थी। उस ट्रेन के दो डिब्बे भी पटरी से उतरे। लेकिन मेन लाइन पर हरी झंडी मिलने के बावजूद अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में कैसे आई। ऐसे में माना जा रहा है कि सिग्नल देने में गलती हुई होगी।”

कब तक चालू होगी ट्रेनों की आवाजाही

रेलवे की ओर से आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है। हालांकि, रेलवे बचाव कार्य से जुड़े अनुभवी लोगों के एक समूह ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि सोमवार से पहले पूरी तरह से मलबा हटाना संभव नहीं है। ऐसे में मंगलवार को ट्रेन सेवाएं सामान्य हो सकती हैं। दरअसल, अब रेलवे का सिरदर्द रूट पर सेवाओं को पूरी तरह से सामान्य करने का है। मलबे हटाने का काम शनिवार से शुरू हो गया। हालांकि, दुर्घटनास्थल पर रेलवे लाइन के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। सीमेंट के स्लीपर टूटे हुए हैं, लोहे की छड़ें निकली हुई है। रेलवे के एक सूत्र ने दावा किया, मंगलवार से पहले उस रूट पर रेल सेवाएं पूरी तरह सामान्य होने की संभावना नहीं है।

हालांकि आपात स्थिति में कम से कम एक लाइन अप और डाउन लाइन पर ट्रेनों को चलाने का प्रयास करेगी। पश्चिम बंगाल से बहुत से लोग इलाज के लिए दक्षिण भारत जाते हैं। इसके अलावा, सबसे लोकप्रिय बंगाली तीर्थ स्थलों में से एक पुरी जाने वाली सभी ट्रेनें बालासोर से होकर गुजरती हैं। रविवार को स्नान के कारण कई तीर्थयात्रियों के पास पुरी जाने वाली ट्रेन का टिकट था। ऐसे में कई ट्रेनों के रद्द होने से भारी आर्थिक नुकसान होने का खतरा है। 

बचाव कार्य कैसे हुआ?

हादसा शुक्रवार शाम करीब सात बजे हुआ। इसके बाद से बालासोर में स्थिति गंभीर है। यात्रियों को बचाने के लिए रात भर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। बचावकर्मियों से लेकर अस्पताल के डॉक्टर तक सब बचाव में कूद पड़े। आपदा प्रबंधन अधिकारियों से लेकर दमकलकर्मियों तक रात के अंधेरे से लेकर शनिवार सुबह तक बचाव कार्य जारी है। शुक्रवार शाम हादसे के बाद एंबुलेंस और मोबाइल हेल्थ यूनिट की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। शुक्रवार शाम से कुल 200 एंबुलेंस, 50 बसें और 45 मोबाइल हेल्थ यूनिट मौके पर पहुंच चुकी हैं। पटरी से उतरे डिब्बे के फर्श से यात्रियों को बचाने के लिए गैसकटर का इस्तेमाल किया गया। स्थानीय लोग भी सामने आए। घायल यात्रियों को बचाया तो कभी पानी देकर उनकी प्यास बुझाई। कभी-कभी वह रेलवे लाइन के आसपास बिखरे सामानों को इकट्ठा कर एक जगह करते हुए नजर आए। कई लोग अस्पताल में घायलों के लिए रक्तदान करने के लिए कतार में खड़े हैं।



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ओडिशा रेल हादसे के चलते आवाजाही पर असर; 48 ट्रेनें रद्द, जानें कितनों का बदला रास्ता

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भारतीय रेल के आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण पूर्व रेलवे ने चेन्नई-हावड़ा मेल, दरभंगा-कन्याकुमारी एक्सप्रेस और 3 जून को अपनी यात्रा शुरु करने वाली कामख्या-एलटीटी एक्सप्रेस को रद्द कर दिया है।



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Odisha Train Accident: हर तरफ फैला था खून, जगह-जगह पड़ी थीं लाशें; कोरोमंडल एक्सप्रेस के पैसेंजर ने याद किया खौफनाक मंजर

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Odisha Train Accident: ओडिशा में शुक्रवार को हुए भीषण ट्रेन हादसे के दौरान कोरोमंडल एक्सप्रेस में सवार अनुभव दास नामक एक यात्री ने इस भयावह दुर्घटना का आंखों देखा मंजर बयां किया। हादसे में दास को कोई नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन दुर्घटना के समय की चीख-पुकार अब भी उनकी कानों में गूंज रही है। दास ने कई ट्वीट कर विस्तार से बताया कि दुर्घटना कैसे हुई। उन्होंने ट्वीट में कहा, ”यह एक भयानक दृश्य था। कुछ लोग घायल हो गए, कुछ ट्रेन के मलबे के नीचे से रेंग रहे थे।” दास को बाद में पता चला कि न केवल उनकी ट्रेन, बल्कि एक और एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। दास ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में उस खौफनाक मंजर को याद किया कि कैसे वह अपने कोच से बाहर निकले। 

दुर्घटना के समय दास इस बात से अनजान थे कि तीन ट्रेन इस दुर्घटना में शामिल हैं। उन्होंने कहा, ”मैं अपनी ट्रेन के बिल्कुल आखिरी हिस्से में था। लगभग साढ़े छह बजे, हमने कुछ देर गड़गड़ाहट और फिर तेज झटके की आवाज सुनी, जो आपातकालीन ब्रेक की तरह लग रहा था। उस समय, हमें एहसास हुआ कि कोई दुर्घटना हुई है और हमें सुरक्षित रहने के लिए कोच से उतरना पड़ा।” दास ने कहा, ”जब हम अपने कोच से उतरने वाले थे और दरवाजे खोले तो हमने देखा कि हमारी ट्रेन के सामने दूसरी लाइन पर तीन और डिब्बे पटरी से उतर गए थे।” 

उन्होंने कहा, ”हमें लगा कि वह यशवंतपुर-हावड़ा एक्सप्रेस थी…ये यशवंतपुर एक्सप्रेस के आखिरी तीन डिब्बे थे, जो सामान्य डिब्बे थे और उनमें लगभग 250-300 लोग सवार थे। हमने खून से लथपथ लोगों को देखा…हमने उन्हें अपने कोच से पानी और चादरें दीं।” पीएचडी शोधार्थी दास कोरोमंडल एक्सप्रेस से वापस कटक अपने घर जा रहे थे, जब उन्होंने अपने जीवन का सबसे खौफनाक दृश्य देखा। ट्रेन के आखिरी एसी कोच नंबर एच1 में होने के कारण उनकी जान बच गई और उन्होंने घायल लोगों की मदद की और पुलिस और रेलवे हेल्पलाइन को फोन किया। 

‘जगह-जगह पड़ी थीं लाशें’

उन्होंने कहा कि आपातकालीन सेवा कर्मियों को घटनास्थल पर पहुंचने में एक घंटे का समय लगा, लेकिन जैसे ही उन्होंने काम संभाला, उन्होंने जरूरतमंदों की काफी मदद की। दास ने कहा, ”जब एंबुलेंस आई, तो वे हमसे दूर जा रहे थे। यह ट्रैक सड़क की तरफ था। एंबुलेंस हमसे दूर कोरोमंडल एक्सप्रेस के अगले हिस्से की ओर जा रही थी। इसलिए यह पता लगाने के लिए कि एंबुलेंस आगे क्यों जा रही थी, हम यह जानने के लिए वहां गए कि क्या हुआ है।” तभी दास को एहसास हुआ कि ट्रेन के डिब्बे मालगाड़ी से टकरा गए हैं। दास ने कहा, ”हर तरफ चीख पुकार मची थी। जमीन पर, पटरियों पर, हर जगह खून था। सभी लोग खून से लथपथ थे और कुछ लोगों की बांह कट गई थी। जगह-जगह लाशें पड़ी थीं।” दास ने यह भी बताया कि क्षतिग्रस्त डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़ गए थे जैसे की ‘तीन चार मंजिला इमारत’ हो। 

‘200-250 डेड बॉडीज देखीं’

इससे पहले, ट्वीट में दास ने कहा कि वह बहुत खुशकिस्मत हैं कि सकुशल बच गए। दास ने ट्वीट किया था, ”इस दुर्घटना में तीन ट्रेन शामिल थीं-कोरोमंडल एक्सप्रेस 12841, यशवंतपुर-हावड़ा एसएफ और एक मालगाड़ी। शुरुआत में ऐसा लगा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई और (बगल में लूप ट्रैक पर खड़ी) मालगाड़ी से टकरा गई।” उन्होंने ट्वीट किया, ”मैंने पटरी पर 200 से 250 यात्रियों के शव बिखरे देखे। पूरी पटरी पर क्षत-विक्षत शव का अंबार लगा हुआ था और खून फैला हुआ था। यह एक ऐसा दृश्य था, जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। ईश्वर उन परिवारों की मदद करे। मेरी संवेदनाएं उनके साथ हैं।” 



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