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चार धाम यात्रा 2023 से पहले फिर बढ़ी टेंशन, बर्फबारी के बाद केदारनाथ का पैदल रास्ता बंद; यह है उत्तराखंड मौसम पूर्वानुमान

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चार धाम यात्रा से पहले खराब मौसम ने टेंशन देनी शुरू कर दी है। केदारनाथ-बदरीनाथ और गंगोत्री धामों में बर्फबारी के बाद यात्रा की तैयारी में जुटी प्रशासन की टीम की मुश्किलें भी बढ़ गईं हैं। ऐसे में खराब मौसम की वजह से धामों पर पड़ी बर्फ को हटाने के लिए कुछ और समय लग सकता है।

हालांकि, प्रशासन का दावा है कि यात्रा शुरू होने से से पहले चार धाम यात्रा रूट को सही कर दिया जाएगा। इसके अलावा, धामों से बर्फ को पूरी तरह से हटा दिया जाएगा, ताकि यूपी सहित पड़ोसी राज्यों से आने वाले तीर्थ यात्रियों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी न हो। उत्तराखंड में पिछले दो दिनों से खराब मौसम का असर पड़ने लगा है।

केदारनाथ धाम में बीते दो दिनों से बर्फबारी हो रही है, जिससे लिंचौली से केदारनाथ तक पैदल आवाजाही फिर से बंद हो गई है। केदारनाथ में करीब एक से डेढ़ फीट नई बर्फ गिर गई है जिससे यात्रा व्यवस्थाओं में जुटे अधिकारी, कर्मचारी एवं मजदूरों को परेशानियां उठानी पड़ रही है। लोनिवि-डीडीएमए को अब लिंचौली से केदारनाथ तक पैदल मार्ग से दोबारा बर्फ हटानी पड़ेगी।

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आगामी 25 अप्रैल को भगवान केदारनाथ के कपाट भक्तों के दर्शनार्थ खुलने हैं। ऐसे में केदारनाथ में सभी व्यवस्थाएं जुटाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है किंतु दो दिनों से हो रही बारिश और बर्फबारी ने यात्रा व्यवस्थाओं में जुटे अधिकारी, कर्मचारी एवं मजदूरों के कदम रोक दिए हैं।

 

लिंचौली से केदारनाथ तक पैदल मार्ग में बर्फ के चलते आवाजाही फिर से बंद है। जबकि भैरव ग्लेशियर पर भी काफी बर्फ गिरी है। ऐसे में डीडीएमए को बर्फ हटाने में दोबारा मेहनत करनी पड़ेगी। जबकि इससे पहले डीडीएमए ने गौरीकुंड से केदारनाथ तक पैदल मार्ग से बर्फ हटाते हुए आवाजाही शुरू करा दी थी।

जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय के ईई प्रवीन कर्णवाल ने बताया कि दो दिनों से लगातार बर्फबारी हो रही है जिससे केदारनाथ धाम में एक फीट से अधिक बर्फ गिरी है। लिंचौली से केदारनाथ तक आवाजाही नहीं हो पा रही है। ढा़ई सौ मजदूर केदारनाथ में रुके हैं जबकि दो सौ मजदूर सोनप्रयाग में है।

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उन्होंने बताया कि मौसम खुलते ही बड़ी संख्या में मजदूरों को लिंचौली से केदारनाथ के बीच बर्फ हटाने में लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले पैदल मार्ग से बर्फ हटाते हुए 6 फीट आवाजाही के लिए तैयार कर लिया गया था किंतु दो दिनों की बर्फबारी ने काफी मुश्किलें पैदा कर दी है।

डीएम के निर्देश पर पहले हटा दी थी बर्फ

जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देशों पर लोनिवि डीडीएमए की टीम ने 20 फरवरी से पैदल मार्ग पर बर्फ हटाने का काम शुरू किया था। जबकि 10 मार्च को बर्फ हटाने वाली टीम केदारनाथ पहुंच गई थी।

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उत्तराखंड के सभी जिलों में बारिश-बर्फबारी का येलो अलर्ट

Uttarakhand Weather:
उत्तराखंड के गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडल के सभी जिलों में मंगलवार को बारिश एवं बर्फबारी का येलो अलर्ट जारी किया गया है। वहीं 24 मार्च तक कई जिलों में बारिश की आशंका जताई गई है। मौसम विभाग के मुताबिक प्रदेश के जनपदों में अधिकांश जगहों में हल्की से मध्यम बारिश, बर्फबारी हो सकती है।

3500 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी ज्यादा होने की संभावना है। कई इलाकों में गर्जना एवं ओलावृष्टि की भी आशंका है। 22 एवं 23 मार्च को मैदानी इलाकों में राहत मिल सकती है। केवल पर्वतीय इलाकों में ही बारिश के आसार है। 24 मार्च को फिर से सभी जिलों में बारिश एवं बर्फबारी का अलर्ट जारी किया गया है।



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खुशखबरी : दिल्ली के स्कूलों में जल्दी होगी 26 हजार शिक्षकों की भर्ती, HC ने केजरीवाल सरकार को दिया आदेश

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दिल्ली में 26 हजार से अधिक शिक्षकों की जल्द भर्ती होगी। उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और नगर निगम को अपने स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है।



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Odisha Train Accident: बढ़ सकता है मृतकों का आंकड़ा; चश्मदीदों का दावा – मलबे में दबे हैं शरीर के अंग

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ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। जानकारों का मानना ​​है कि यह संख्या 300 से अधिक हो सकती है। शनिवार शाम तक रेलवे सूत्रों ने बताया है कि मरने वालों की संख्या 288 है। 800 से ज्यादा घायल। लेकिन चश्मदीदों का कहना है कि शरीर के अंग अब भी मलबे में दबे हुए  हैं। मलबे के नीचे कई शव भी दबे हो सकते हैं। नतीजतन, मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है। रेल सेवा शनिवार से सेवा सामान्य करने की कवायद शुरू हो गई है। लेकिन यह काफी समय लेने वाला माना जाता है।

संयोग से 10 मई 2010 को ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे में 148 लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले, 2 अगस्त 1999 को रेलवे अधिकारियों के अनुसार, उत्तर बंगाल में इस्लामपुर के पास गेसल में एक रेल दुर्घटना में 285 लोगों की मौत हो गई थी। बालासोर कोरोमंडल एक्सप्रेस हादसे में मरने वालों की संख्या ने इन हादसों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। यदि मरने वालों की संख्या 300 को पार कर जाती है, तो दुर्घटना पूर्वी भारत में हाल के दिनों में घटने वाली सबसे घातक रेल दुर्घटना होगी।

जांच के बाद रेलवे की प्रारंभिक रिपोर्ट में कोरोमंडल हादसे का कारण सिग्नलिंग में खराबी बताया गया है। हालांकि, रेलवे अधिकारियों के एक वर्ग के अनुसार, विस्तृत जांच से दुर्घटना के कारणों का पता चल पाएगा। साइट निरीक्षण के बाद एक संयुक्त रिपोर्ट में कहा गया, “अप मेन लाइन पर हरी झंडी दे दी गई थी। लेकिन ट्रेन उस लाइन में नहीं आई। ट्रेन लूप लाइन में चली गई। वहां पहले से ही एक मालगाड़ी खड़ी थी। उससे टक्कर में कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई।” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ”इस बीच बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस डाउन लाइन से होते हुए बालासोर की ओर जा रही थी। उस ट्रेन के दो डिब्बे भी पटरी से उतरे। लेकिन मेन लाइन पर हरी झंडी मिलने के बावजूद अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस लूप लाइन में कैसे आई। ऐसे में माना जा रहा है कि सिग्नल देने में गलती हुई होगी।”

कब तक चालू होगी ट्रेनों की आवाजाही

रेलवे की ओर से आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं बताया गया है। हालांकि, रेलवे बचाव कार्य से जुड़े अनुभवी लोगों के एक समूह ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि सोमवार से पहले पूरी तरह से मलबा हटाना संभव नहीं है। ऐसे में मंगलवार को ट्रेन सेवाएं सामान्य हो सकती हैं। दरअसल, अब रेलवे का सिरदर्द रूट पर सेवाओं को पूरी तरह से सामान्य करने का है। मलबे हटाने का काम शनिवार से शुरू हो गया। हालांकि, दुर्घटनास्थल पर रेलवे लाइन के बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। सीमेंट के स्लीपर टूटे हुए हैं, लोहे की छड़ें निकली हुई है। रेलवे के एक सूत्र ने दावा किया, मंगलवार से पहले उस रूट पर रेल सेवाएं पूरी तरह सामान्य होने की संभावना नहीं है।

हालांकि आपात स्थिति में कम से कम एक लाइन अप और डाउन लाइन पर ट्रेनों को चलाने का प्रयास करेगी। पश्चिम बंगाल से बहुत से लोग इलाज के लिए दक्षिण भारत जाते हैं। इसके अलावा, सबसे लोकप्रिय बंगाली तीर्थ स्थलों में से एक पुरी जाने वाली सभी ट्रेनें बालासोर से होकर गुजरती हैं। रविवार को स्नान के कारण कई तीर्थयात्रियों के पास पुरी जाने वाली ट्रेन का टिकट था। ऐसे में कई ट्रेनों के रद्द होने से भारी आर्थिक नुकसान होने का खतरा है। 

बचाव कार्य कैसे हुआ?

हादसा शुक्रवार शाम करीब सात बजे हुआ। इसके बाद से बालासोर में स्थिति गंभीर है। यात्रियों को बचाने के लिए रात भर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। बचावकर्मियों से लेकर अस्पताल के डॉक्टर तक सब बचाव में कूद पड़े। आपदा प्रबंधन अधिकारियों से लेकर दमकलकर्मियों तक रात के अंधेरे से लेकर शनिवार सुबह तक बचाव कार्य जारी है। शुक्रवार शाम हादसे के बाद एंबुलेंस और मोबाइल हेल्थ यूनिट की गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। शुक्रवार शाम से कुल 200 एंबुलेंस, 50 बसें और 45 मोबाइल हेल्थ यूनिट मौके पर पहुंच चुकी हैं। पटरी से उतरे डिब्बे के फर्श से यात्रियों को बचाने के लिए गैसकटर का इस्तेमाल किया गया। स्थानीय लोग भी सामने आए। घायल यात्रियों को बचाया तो कभी पानी देकर उनकी प्यास बुझाई। कभी-कभी वह रेलवे लाइन के आसपास बिखरे सामानों को इकट्ठा कर एक जगह करते हुए नजर आए। कई लोग अस्पताल में घायलों के लिए रक्तदान करने के लिए कतार में खड़े हैं।



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ओडिशा रेल हादसे के चलते आवाजाही पर असर; 48 ट्रेनें रद्द, जानें कितनों का बदला रास्ता

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भारतीय रेल के आंकड़ों के अनुसार, दक्षिण पूर्व रेलवे ने चेन्नई-हावड़ा मेल, दरभंगा-कन्याकुमारी एक्सप्रेस और 3 जून को अपनी यात्रा शुरु करने वाली कामख्या-एलटीटी एक्सप्रेस को रद्द कर दिया है।



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